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एनएल चर्चा 369: जातिगत जनगणना और वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे पर मीडिया की आज़ादी के सवाल

1:49:04
 
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इस हफ्ते केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराए जाने के ऐलान, प्रेस फ्रीडम डे के बहाने मीडिया की आजादी और और पहलगाम हमले पर सुरक्षा में चूक को लेकर सवाल पूछने वालों पर एफआईआर दर्ज करने को लेकर विस्तार से बात हुई.


इसके अलावा पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, पीएम मोदी की तीनों सेनाओं के अध्यक्षों के साथ बैठक, एक सर्वे के अनुसार 80 फीसदी लोगों का मानना कि भारत में अभी भी मीडिया आज़ाद, पहलगाम हमले के बाद देशभर में कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो लोगों की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डिजिटल एक्सेस को नागरिकों का अधिकार बताए जाने की ख़बरें भी हफ्ते भर सुर्ख़ियों में रहींइस हफ्ते चर्चा में बतौर मेहमान वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा और गीता सेशु शामिल हुईं. वहीं, न्यूज़लॉन्ड्री टीम से सह संपादक शार्दूल कात्यायन और स्तंभकार आनंदवर्धन ने हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

विश्व प्रेस फ्रीडम डे से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल कहते हैं, “आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में पत्रकारों के लिए स्थितियां कुछ खास मुफीद नहीं हैं और कुछ देशों में तो बहुत ज़्यादा ख़राब हैं. भारत में भी हालात कुछ खास ठीक नहीं हैं.” इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए गीता कहती हैं, “बहुत ही कम पत्रकारों को उनकी हत्या या मारपीट के मामले में न्याय मिलता है. 2010 से अब तक केवल 3 मामलों में पत्रकारों को न्याय मिला है. जो स्वतंत्र पत्रकार हैं, उन्हें ज़्यादा निशाना बनाया जाता है. ”

सुनिए पूरी चर्चा-


नोट: अपने पत्र भेजने के लिए यहां क्लिक करें.


टाइमकोड्स

00:00 - इंट्रो और जरूरी सूचना

03:05 - सुर्खियां

17:50 - प्रेस की आज़ादी और एफआईआर 1:1:50- सब्सक्राइबर्स के पत्र

1:11:33 - जातिगत जनगणना

01:41:50 - सलाह और सुझाव


चर्चा में पिछले सप्ताह देखने, पढ़ने और सुनने के लिए किसने क्या सुझाव दिए, उसके लिए यहां क्लिक करें.


ट्रांसक्रिप्शन: तस्नीम फातिमा


प्रोड्यूसर: आशीष आनंद , तीसता रॉय चौधरी


संपादन: आशीष आनंद


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इसके अलावा पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, पीएम मोदी की तीनों सेनाओं के अध्यक्षों के साथ बैठक, एक सर्वे के अनुसार 80 फीसदी लोगों का मानना कि भारत में अभी भी मीडिया आज़ाद, पहलगाम हमले के बाद देशभर में कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो लोगों की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डिजिटल एक्सेस को नागरिकों का अधिकार बताए जाने की ख़बरें भी हफ्ते भर सुर्ख़ियों में रहींइस हफ्ते चर्चा में बतौर मेहमान वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा और गीता सेशु शामिल हुईं. वहीं, न्यूज़लॉन्ड्री टीम से सह संपादक शार्दूल कात्यायन और स्तंभकार आनंदवर्धन ने हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

विश्व प्रेस फ्रीडम डे से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल कहते हैं, “आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में पत्रकारों के लिए स्थितियां कुछ खास मुफीद नहीं हैं और कुछ देशों में तो बहुत ज़्यादा ख़राब हैं. भारत में भी हालात कुछ खास ठीक नहीं हैं.” इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए गीता कहती हैं, “बहुत ही कम पत्रकारों को उनकी हत्या या मारपीट के मामले में न्याय मिलता है. 2010 से अब तक केवल 3 मामलों में पत्रकारों को न्याय मिला है. जो स्वतंत्र पत्रकार हैं, उन्हें ज़्यादा निशाना बनाया जाता है. ”

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